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Saturday, 13 March 2021

प्रीत



प्रीत कर किसने जीवन पाया।

फिर भी प्रीत किसे न भाया। 


पतंग दीपक से प्रीत लगाया,

अपने तन को ही जलाया,


एक जला फिर दूसरा आया,

फन फन जलाया उसका काया,


आकर नित जलते हैं पतंगे,

प्रेम रस में होकर मतंगे,


प्रेम का पथ जीवन की छाया। 

फिर भी प्रीत किसे न भाया।  


Author: Shubham Kishore
Email Id: shubhamkishore05@gmail.com
               : loveclashes@gmail.com

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